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दादू इसक अलह की जाति है
दादू इसक अलह की जाति है, इसक अलह का अंग।इसक अलह औजूद है, इसक अलह का रंग॥
दादू दयाल
दादू नूरी दिल अरवाह का
दादू नूरी दिल अरवाह का, तहाँ बसै माबूंद।तहाँ बंदे की बंदिगी, जहाँ रहै मौजूंद॥
दादू दयाल
दादू सिरजन हार के
दादू सिरजन हार के, केते नांव अनंत।चिति आवै सो लीजिए, यूँ साधू सुमिरैं संत॥
दादू दयाल
दादू प्रीतम के पग परसिये
दादू प्रीतम के पग परसिये, मुझ देखण का चाव।तहाँ ले सीस नवाइये, जहाँ धरे थे पाव॥
दादू दयाल
ब्रजदेवी के प्रेम की
ब्रजदेवी के प्रेम की, बँधी धुजा अति दूरि।ब्रह्मादिक बांछत रहैं, तिनके पद की धूरि॥
ध्रुवदास
सतगुर दाता जीव का
सतगुर दाता जीव का, स्रवन सीस कर नैन।तन मन सौँज सँवारि सब, मुख रसना अरु बैन॥
दादू दयाल
बिन पाइन का पंथ है
बिन पाइन का पंथ है, क्यौं करि पहुँचै प्राण।बिकट घाट औघट खरे, माहिं सिखर असमान॥
दादू दयाल
राम भजन का सोच क्या
राम भजन का सोच क्या, करताँ होइ सो होइ।दादू राम सँभालिये, फिरि बूझिये न कोइ॥
दादू दयाल
सबद बान गुर साधि के
सबद बान गुर साधि के, दूरि दिसंतरि जाइ।जेहि लागे सो ऊबरे, सूते लिये जगाइ॥
दादू दयाल
ज्यौं अमली की ऊंघतें
ज्यौं अमली की ऊंघतें, परी भूमि पर पाग।वह जानै यह और की, सुन्दर यौं भ्रम लाग॥
सुंदरदास
पद्मनाभ के नाभि की
पद्मनाभ के नाभि की, सुखमा सुठि सरसाय।निरखि भानुजा धार को, भ्रमि-भ्रमि भंवर भुलाय॥
रघुराजसिंह
इश्क उसी की झलक है
इश्क उसी की झलक है, ज्यौं सूरज की धूप।जहाँ इस्क तहँ आप हैं, क़ादिर नादिर रूप॥
नागरीदास
ज्यूँ चातक के चित्त जल बसै
ज्यूँ चातक के चित्त जल बसै, ज्यूँ पानी बिन मीन।जैसे चंद चकोर है, ऐसे हरि सौं कीन्ह॥